15 अगस्त क्यों मनाया जाता है? Why is 15 August celebrated?

15 अगस्त क्यों मनाया जाता है? यह ऐसा सवाल है जिसके बारे में सबको जानकारी होनी चाहिए और शायद बहुत बारे में जानकारी होगी भी लेकिन कुछ ऐसे लोग भी है जो इस बारे में नहीं जानते या फिर वे अभी इतने छोटे है कि उनको इस बारे में पढ़ाया नहीं गया या फिर ज्यादा जानकारी नहीं है। इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको 15 अगस्त क्यों मनाया जाता है? के बारे में जानकारी देने जा रहे है।

वैसे तो भारत में बहुत सारे त्यौहार मनाये जाते है। क्यूंकि भारत में इतने राज्य है और हर राज्य की संस्कृति भी अलग अलग है। इसी के साथ भारत में ऐसे भी त्यौहार मनाये जाते है जो हर राज्य या हर संस्कृति में उनका एक ही महत्व होता है और सबके सब उन्हें मानते है। जैसे दीवाली हो या दीपावली या फिर ईद हो ऐसे न जाने कितने ही त्यौहार भारत में मनाये जाते है।

लेकिन कुछ ऐसे भी है जिन्हे हम त्यौहार कह सकते है जोकि भारत की संस्कृति से नहीं बल्कि भारत देश के लिए मनाया जाता है इनमे से 15 अगस्त भी है जिसे हम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते है। या फिर 26 जनवरी का दिन जिसे पूरा देश गणतंत्र दिवस के रूप में मनाता है।

वैसे तो 15 अगस्त क्यों मनाया जाता है इसके बारे में हम विस्तार से जानेंगे लेकिन कुछ चीजे पहले बता देते है जिसकी जानकारी तो सबको होनी चाहिए। तो 15 अगस्त हम इसलिए मानते है क्यूंकि उस दिन हमारा देश आजाद हुआ था जोकि पहले अंग्रेजो का गुलाम था। इसीलिए यह हमारे देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन भी है।

स्वतंत्रता दिवस का इतिहास: भारत में 15 अगस्त क्यों मनाया जाता है

स्वतंत्रता दिवस (Independence Day): 15 अगस्त 1947 के दिन हमारा देश यानी कि भारत ब्रिटिश शासन या फिर कहे तो अंग्रेजो की गुलामी से आजाद हुआ था। इसीलिए 1947 के बाद से हर साल 15 अगस्त के दिन हमारा पूरा देश आजादी की याद में स्वतंत्रता दिवस मनाता है। जो आज हम कही भी जा सकते है अपनी बात कही पर सकते है यह आजादी पाने के लिए हमारे देश के न जाने कितने महान स्वतंत्रता सैनानियों ने अपनी जान की कुर्बानी दी थी। इस आजादी के लिए हमारे देश ने बहुत ही कठिन संघर्ष किया था। आजादी पाने के लिए हमारे देश के कई बड़े नेताओ या फिर महान सख्सियतो जैसे की महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और भगत सिंह , राजगुरु जैसे कई अन्य ने अंग्रेजो का डटकर मुकाबला किया था।

इस दिन हमारे देश के प्रधानमंत्री नई दिल्ली में स्थित लाल किले से पुरे देश को सम्भोदित करने के साथ साथ लाल किले पर भारत का तिरंगा झंडा भी फहराते है। इस दिन भारत के हर घर में, स्कूलों में, दफ्तरों में, और हर जगह देशभक्ति के गाने से लेकर भाषण तक दिए जाते है। इस दिन सभी लोग उन महँ लोगो को भी याद करते है जिन्होंने हमारे देश को आजाद करने के लिए अहम् भूमिका निभाई थी।

15 अगस्त या स्वतंत्रता दिवस का महत्व

जैसा कि हमने आपको 15 अगस्त के बारे में बताया की यह क्यों मनाया जाता है ऐसे ही इस दिन का महत्व भी हमें जानना चाहिए। तो इस दिन हमारे देश को अंगेजो आजादी तो मिली ही थी लेकिन यह शब्द भारत देश के लिए सिर्फ शब्द नहीं है बल्कि इस शब्द में हमारे देश के कई लोगो की कुर्वानी छिपी हुयी है जिन्होंने हमारे देश को ब्रिटिश शासन से आजाद करने के लिए अपने प्राणो की आहूति तक दे दी। उन्होंने एक बार भी ऐसा नहीं सोचा की अंग्रेजो के विरुद्ध खड़े होने से उन्हें मौत की सजा तक दे दी जाएगी। वैसे वह बखूबी यह बात जानते थे लेकिन फिर भी उन लोगो ने अपने देश को गगुलामी की जंजीरो से मुक्त करने के लिए अपने प्राण तक त्याग दिए।

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वैसे तो आज हम साल 2023 में है यानि की हमारे देश को आजाद हुए 76 साल बीत चुके है और इन 76 सालो में हम न जाने कितने ही स्वतंत्रा सैनानियों के नाम तक भूल चुके है। हम अपनी आजादी जश्न तो मानते है लेकिन सायद कुछ ही लोगो को इस दिन याद करते है। वैसे कई लोगो को तो इन कुछ लोगो का नाम भी नहीं पता होगा जिनकी वजह से आज हम सब इस देश में बिना किसी दिक्कत के जो मर्जी कर सकते जहाँ मर्जी घूम सकते है। वैसे कुछ नाम ये है जिन्होंने हमारे देश की आजादी में अहम् भूमिका निभाई थी उम्मीद करते है की आप लोग इन लोगो के नाम हमेशा याद रखेंगे और अपने बच्चो को भी बताएँगे की यह लोग कौन थे।

भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोगो के नाम
भगतसिंह,चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चन्द्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, जवाहरलाल नेहरु, बाल गंगाधर तिलक, वल्लभभाई पटेल, विनायक दामोदर सावरकर, मोतीलाल नेहरु, बटुकेश्वर दत्त, दुर्गावती देवी, रास बिहारी बोस, बिपिन चन्द्र पाल, रामप्रसाद बिस्मिल, गणेश दामोदर सावरकर, भीमराव अम्बेडकर, मौलाना अबुल कलाम आजाद, खुदीराम बोस, अशफाक़उल्ला खा, मदन लाल ढींगरा, एनी बीसेंट, लाला हरदयाल, अल्लूरी सीताराम राजू, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, बिरसा मुंडा, राममनोहर लोहिया, हेमू कालाणी, सुखदेव, राजगुरु, दादाभाई नौरोजी, भीकाजी कामा, गोपाल, कृष्ण गोखले, सरोजनी नायडू, आचार्य कृपलानी, लाला लाजपत राय, बहादुर शाह जफर, शहीद उधम सिंह, रानी लक्ष्मीबाई, टीपू सुल्तान, रानी गिडालू, सी.राजगोपालाचारी, चितरंजन दास, खान अब्दुल गफ्फार खान, बाबू कुंवर सिंह, मदन मोहन मालवीय, अम्बिका चक्रवती, अनंत लक्ष्मण कन्हेरे, मंगल पांडे, अरुणा आसफ अली, जयप्रकाश नारायण, बीना दास, जतिंद्र मोहन सेन गुप्ता, महादेव गोविन्द रानाडे, सुचेता कृपलानी, गोविन्द वल्लभ पन्त, सर अरविन्द घोष, तात्या टोपे

ब्रिटिश शासन का इतिहास और उसका पतन

वैसे तो भारत में ब्रिटिश शासन काल का इतिहास बहुत ही पेचीदा और इसके बहुत पहलू भी है, जो कई दशकों या फिर कहे तो कई शताब्दियों तक है। सन 1600 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में ब्यापार करने के लिए आयी थी। और उन्होंने भारत में अपनी पहली कंपनी स्थापित की और फिर धीरे धीरे भारत में पहले से मौजूद पुर्तगाली कंपनियों के साथ मुकाबले करते हुए लगभग पुरे भारत में बहुत सारी कंपनियों का निर्माण किया और जितने भी यूरोपीय कम्पनिया थी उन्हें बंद करने पे मजबूर कर दिया। फिर धीरे धीरे ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपनी सेना भी तैयार कर दी और भारत में मौजूद कई राजाओ को उनकी गद्दी से हटा दिया। जिसके बाद वह पूरे भारत पर कब्ज़ा करने में सफल रहे।

भारत में ब्रिटिश शासन का प्रारंभिक इतिहास

भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1600 में हुयी थी। यह भारत में ब्यापार करने के लिए आये थे। क्यूंकि उस समय भारत में जितने भी विदेशी कंपनियां थी चाहे वह पुर्तगाली हो या डच सब के सब भारत में मसालों, रेसम के वस्त्रो और भारत में मौजूद अन्य कीमती सामानो के ब्यापार के लिए आये थे। लेकिन धीरे धीरे भारत में अपने व्यापार को बढ़ाया और पूरे देश के अलग अलग हिस्सों में अपनी कंपनी का विस्तार शुरू कर दिया।

कर दिया और यह अंग्रेजो की राजनितिक कूटनीति के जरिये मुमकिन हो पाया। उन्होंने भारत में धीरे धीरे खुद की सेना बनाई और कई राजाओ को युद्ध में परास्त किया उन्होंने फुट डालो और राज करो की रणनीति (strategy of divide and rule) से भारत के राजाओ से उनकी गद्दी छीन ली और फिर वहां पर अपनी सरकार बनाना शुरू कर दिया। उसके बादअंग्रेजो ने हमारे देश के राजनीतिक और आर्थिक मामलो में भी हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया। और फिर देखते ही देखते पूरे भारत पर अपना राज कर लिया।

जब भारत पर अंग्रेजो ने अपना पूरा अधिकार हासिल कर लिया तो फिर उन्होंने भारत एक नया क़ानून बनाया जिसे भू-राजस्व कानून कहा जाता है। इस कानून की वजह से उन्होंने भारत के किसानो पर भारी कर लगाना शुरू कर दिया जिसकी वजह से भारतीय कृषि को उसकी इसकी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ। और यह कानून या कहे तो इस प्रणाली को अंग्रेजो ने सिर्फ भारत में मिलने वाले खनिज और कई प्रकार के संसाधनों को निकलने के लिए बनाया था जिससे उन्हें काफी फायदा भी हुआ।

अंग्रेजो ने भारत में और भी कई सारे कानूनों का निर्माण किया और इन कानूनों में यह साफ़ साफ दिखता है कि उन्होंने भारत में भारत के लोगो के भेदभाव शुरू कर दिया। और कानूनों में से एक था निर्वाचक मंडल की प्रणाली। इस प्रणाली की वजह से अंग्रेजो ने भारत को धार्मिक और जाति आधार पर बाँटने का काम किया और भारत को यह दिलाया कि अंग्रेज भारत पर अपना अधिकार ऐसे ही बनाये रखेंगे।

भारतीय समाज और संस्कृति पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव

भारतीय समाज और संस्कृति पर अंग्रेजो ने अपना बहुत ज्यादा प्रभाव डाला था जो कि हमें आज के समय में हर कही दिखता है। सबसे पहले अंग्रेजो ने भारत में स्कूलों और कॉलेजों में हिंदी भाषा में होने वाली पढाई को अंग्रेजी भाषा में पढ़ाने काम किया जिसकी वजह से भारत में हिंदी और कई अन्य भाषाओ के उपयोग में काफी कमी आने लगी और यह कमी हमें आज भी दिखता है। आज भारत में जिसे अंग्रेजी आती है उसे ही पढ़ा लिखा माना जाता है चाहे वह इंसान कितना भी अनपढ़ क्यों न हो और जिस इंसान को अंग्रेजी नहीं आती लेकिन वह पढ़ने लिखने में काफी अच्छा है तो उन्हें अनपढ़ो की श्रेणी में डाल दिया जाता है। इसी से हमें यह साफ़ प्रतीत होता है कि अंग्रेजो ने भारतीय समाज पर कितना प्रभाव डाला। इसी के साथ उन्होंने भारत की शिक्षा प्रणाली में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ने में काफी सहायता की।

इसके बाद अंग्रेजो ने एक और नया कानून बनाया जो कि उस समय के ब्रिटिश या ब्रिटैन के आम क़ानून पर ही आधारित था। यह क़ानून भारत में कुछ हद तक सही भी था जो कि हर व्यक्ति को न्याय और समानता का हक़ देती थी। लेकिन उस समय ये क़ानून बस कुछ ही लोगो के लिए फायदेमंद था जैसा कि आज भी हम लोगो को कभी कभी देखने को मिल जाता है जहाँ न्याय की बात करे तो आज भी अमीर और आर्थिक रूप शक्तिशाली लोगो के लिए यह कानून थोड़ा कुछ हद तक अच्छा या कहे तो गरीब लोगो को उनके न्याय के लिए लड़ने के लिए सायद बहुत परिश्रम करना पड़ता है जोकि उस समय काफी ज्यादा मुश्किल और नामुमकिन सा था। यह क़ानून उस समय अंग्रेजो के लिए ही फायदेमंद था।

और फिर अंग्रेजो ने एक और नया वर्ग भी पेश किया जिसे अभिजात वर्ग के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ग में वे लोग आते थे जो या तो भारत से बाहर पश्चिमी देशो से पढ़कर आये हो और ऐसे लोग जो अंग्रेजो के साथ हो या उनके वफादार हो। और इस वर्ग के लोगो को राजनीतिक शक्ति और आर्थिक मदद जैसे कई चीजे प्रदान की जाती थी। और इन लोगो ने भारतीय जनता और अंग्रेजो के बीच एक बिचौलिये की तरह काम किया।

ब्रिटिश शासन का विरोध

वैसे तो भारत में ब्रिटिश शासन का विरोध बहुत पहले से ही होता आया था लेकिन 18वीं सदी के अंत में अंग्रेजो के खिलाफ यह विद्रोह और भी उभरकर सामने आया। 1857 क्रांति किसे याद नहीं है यह सिपाही विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है। इसका अंग्रेजो के खिलाफ महत्वपूर्ण और इसकी वजह से भारतीय इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण योगदान है।

यह विद्रोह इसलिए हुआ था क्यूंकि अंग्रेजो द्वारा जो रायफल इस्तेमाल किये जाते थे वे उन रायफलों में भरे जाने वाली कारतूसों को जानवरो की चर्बी से तैयार करते थे जिसकी वजह से हिन्दू हो या मुस्लिम चाहे वे अंग्रेजो की सेना में हो या न हो इससे सभी भारतीय लोगो की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचा था। जिसकी वजह से पूरे उत्तर भारत में अंग्रेजो के खिलाफ इसका विद्रोह देखने को मिला। लेकिन यह विद्रोह ज्यादा समय तक नहीं चला और अंग्रेजो ने इस विद्रोह पर कुछ ही समय में नियंत्रण हासिल कर लिया था।

उसके बाद 1885 में पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की गयी और इसने भारत की स्वतंत्रता और स्वतंत्रता के लिए किये गए आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सबसे पहले अंग्रेजी शासन में भारतीयों को राजनीतिक तौर पर प्रतिनिधित्व करना शुरू कर दिया था। और धीरे धीरे समय बीत जाने पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अंग्रेजो के सामने भारत को आजाद करने की मांग की और भारत से अंग्रेजो के लौट जाने को कहा।

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भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेती महिलाएं

महात्मा गाँधी जी को कौन नहीं जानता उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन का जनक भी कहा जाता है। उन्होंने अपने अहिंसक विचारधारा से भारत के करोड़ो लोगो को शांतिपूर्वक ढंग से आंदोलन करने के लिए प्रेरित किया। उनकी यह विचारधारा हमें सविनय अवज्ञा आंदोलन, चंपारण आंदोलन, खेड़ा आंदोलन और स्वराज जैसे कई आंदोलनों का प्रतिनिधित्व किया।

गाँधी जी द्वारा 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया था जिसकी वजह से भारत की स्वतंत्रता के लिए इस आंदोलन ने एक अहम् मोड़ ले लिया था। इस आंदोलन का बस एक ही मकसद था भारत से अंग्रेजी सरकार का वापस चले जाना। और इस आंदोलन ने देश में बहुत बड़ा या कहे तो व्यापक रूप हासिल कर लिया था। जिसके बाद अंग्रेजो ने पुरे भारत में हो रहे हिंसा के विरोध में कई हजारो लाखो भारतीयों को जेल में डालना शुरू कर दिया था। इस आंदोलन की वजह से कई नए उभरते हुए नेताओ और कार्यकर्ताओ को भी प्रेरित किया।

ब्रिटिश शासन का पतन और भारत की आजादी

वैसे तो गाँधी जी का यह आंदोलन इतना बड़ा था कि इससे अंग्रेज कमजोर पड़ने लगे थे लेकिन इसी के साथ और भी बहुत कारण थे जिससे अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था. जिसमे एक बड़ा कारण द्वितीय विश्व युद्ध भी माना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन ने भी भाग लिया था जिसकी वजह से उनके पास संसाधनों की कमी आने लगी और फिर अंग्रेज सरकार भारत में भी कमजोर पड़ने लगे थे और भारत पर अपना नियंत्रण बनाये रखने में भी उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। जिसके बाद भारत में मौजूद नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फ़ौज भारतीय राष्ट्रीय सेना ने भी अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध का प्रयास किया किया और इस प्रयास ने भारत की आजदी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। और इसके चलते ब्रिटिश शासन की भारत पर पकड़ और भी ज्यादा कमजोर थी।

जिसके बाद कई महान पश्चिमी देशो ने खासकर संयुक्त राष्ट्र अमेरिका जोकि पहले भारत में मौजूद ब्रिटिश शासन का खुले तौर पर समर्थन करते थे उन्होंने भी अब ब्रिटिश शासन पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाना शुरू कर दिया था और द्वितीय विश्व युद्ध भारत की स्वतंत्रता की मांग करने लगे थे। और इन सभी कारणों के चलते आखिरकार लगभग 350 साल बाद वो दिन भी आ गया जब भारत से अंग्रेजी सरकार को भारत से अपने देश ब्रिटेन लौटना पड़ा और वो दिन था 15 अगस्त 1947.

भारत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था और हमारे देश को आजाद हुए 76 साल बीत चुके है।
  • भारत के मुख्यतः चार नाम है – भारत, आर्यावर्त, हिन्दुस्तान और इंडिया (कुछ और नाम इस प्रकार है – जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष और हिन्द)
  • स्वतंत्रता से लेकर अभी तक भारत में 14 राष्ट्रपति रह चुके हैं।
  • भारत की सबसे पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल थी।
  • भारत के सबसे पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे और पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे।
  • भारत दुनिया का सबसे बड़ा आबादी वाला देश है जिसकी जनसंख्या 142 करोड से भी ज्यादा है।
  • भारत में कुल मिलाकर 28 राज्य और 8 केन्द्र शासित प्रदेश हैं।

20 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम क्या है

भगतसिंह,चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चन्द्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, जवाहरलाल नेहरु, बाल गंगाधर तिलक, वल्लभभाई पटेल, विनायक दामोदर सावरकर, मोतीलाल नेहरु, बटुकेश्वर दत्त, दुर्गावती देवी, रास बिहारी बोस, बिपिन चन्द्र पाल, रामप्रसाद बिस्मिल, गणेश दामोदर सावरकर, भीमराव अम्बेडकर, मौलाना अबुल कलाम आजाद, खुदीराम बोस, अशफाक़उल्ला खा, मदन लाल ढींगरा, एनी बीसेंट,

भारत कब आजाद हुआ था?

15 अगस्त 1947

26 जनवरी क्यों मनाया जाता है?

क्योंकि 26 जनवरी 1950 के दिन हमारा संविधान लागू हुआ था।

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